Monkeypox Case in Delhi: दिल्ली में 31 साल का एक शख्स पश्चिम विहार में रहता है। 16 जुलाई को वो जब डॉक्टर रिचा के पास पहुंचा तो इसे पिछले चार दिनों से बुखार था। हाथों पर और Genitals के हिस्सों पर लाल दाने आने लगे थे। इस व्यक्ति को शक था कि इसे चिकनपॉक्स है। लेकिन जब ये डॉक्टर के पास पहुंचा तो उन्हें ये चिकनपॉक्स नहीं लगा। उन्होंने उसे दवा देकर 5 दिन बाद वापस आने को कहा। 5 दिन बाद जब मरीज लौटा तो डॉक्टर ने देखा कि लाल निशान बढ़ गए हैं, दाने और बड़े हो चुके हैं और हथेलियों और चेहरे पर भी फैल गए हैं। मरीज ने बताया कि उसने कोई विदेश यात्रा नहीं की है। हालांकि वो कुछ दिन पहले हिमाचल प्रदेश से लौटा था।
इस बार डॉक्टर ने तमाम लिटरेचर भी देखा और उन्हें समझ आया कि ये ऐसे दाने हैं जो उन्होंने अपनी 12 साल की प्रैक्टिस में पहले कभी नहीं देखे – ये चिकनपॉक्स या स्मॉलपॉक्स नहीं हैं। उन्हें शक हुआ कि ये मंकीपॉक्स लग रहा है। अच्छी बात ये रही कि बुखार होते ही मरीज ने कोरोना काल से सबक लेते हुए खुद को आइसोलेट कर लिया था। इसलिए उसके परिवार में कोई संक्रमित नहीं हुआ था। लेकिन सरकार की गाइडलाइंस के हिसाब से इसकी पुष्टि करने के लिए टेस्ट केवल सरकारी लैब में ही हो सकता था। हालांकि डॉक्टर को अब तक यकीन हो चुका था कि ये मंकीपॉक्स ही होगा। उन्होंने मरीज को समझाया कि लोकल सरकारी डॉक्टर को बताना जरूरी है। डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस ऑफिसर को सूचना दी गई। उसके बाद मरीज को तुरंत प्रभाव से लोक नायक अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। 22 जुलाई शुक्रवार को मरीज के सैंपल को National Institute of Virology पुणे भेजा गया। रविवार सुबह ही वहां से टेस्ट के जरिए कंफर्म हो गया कि मरीज को मंकीपॉक्स ही है।
इस बीच डॉक्टर ने खुद को सात दिन के लिए आइसोलेट कर लिया। इसी वक्त बीमारी के होने या ना होने का पता चल जाता है। वे अपने परिवार और काम से दूर रहीं। डॉक्टर ने मरीज के इलाज के वक्त मास्क, ग्लव्स और पीपीई किट पहनी हुई थी। सेनेटाइजेशन का ख्याल रखा था लिहाजा वो संक्रमण से बची रहीं। डॉक्टर के मुताबिक मरीज से दूर रहें तो संक्रमण नहीं होगा और पास रहना ही पड़े तो मरीज को मास्क लगाने को कहें, क्योंकि उसकी थूक से भी संक्रमण हो सकता है। उसके कपड़ों, बिस्तर, चादर तौलिए – बाथरुम सबको अलग ही रखें।