Shraddha Murder Case: श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला (Aftab Ameen Poonawala) को झूठ पकड़ने वाली मशीन का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली पुलिस को आफताब के पॉलीग्राफिक टेस्ट की मंजूरी मिल गई है, यानी उसे पॉलीग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) से गुजरना पड़ सकता है। इस टेस्ट को लाई डिटेक्टर मशीन (Lie Detector Machine) टेस्ट भी कहते हैं। झूठ पकड़ने वाली मशीनों या नार्को टेस्ट की अदालत में उतनी महत्ता नहीं है, जितनी कि इस टेस्ट में दी गई जानकारी के आधार पर खोजे गए सबूत हैं। आइए जानते हैं कि कैसे काम करती है झूठ पकड़ने वाली मशीन…
झूठ पकड़ने वाली मशीन यानी लाई डिटेक्टर मशीन को 101 साल पहले जॉन अगस्तस लार्सन ने बनाया था, यानी 1921 में। मकसद था मशीन के जरिए अपराधियों से सच कबूल कराना। हमारे देश में पॉलीग्राफ टेस्ट, नार्को टेस्ट या ऐसे किसी परीक्षण के लिए पहले अदालत से अनुमति लेनी होती है। मामले की गंभीरता के आधार पर कोर्ट इसकी अनुमति देता है।
क्या देखते हैं पॉलीग्राफ टेस्ट में?
पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान यह देखा जाता है कि सवालों के जवाब देते समय क्या इंसान झूठ बोल रहा है या सच। इंसान जब भी झूठ बोलता है, तब उसका हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, बदलता है। पसीना आता है. आंखें इधर-उधर जाती हैं। कई बार पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान हाथ-पैर के मूवमेंट पर भी ध्यान दिया जाता है, हालांकि पॉलीग्राफ मशीन पर टेस्ट के दौरान आमतौर पर चार चीजें देखी जाती हैं।
सांस लेने की दर (Breathing Rate)।
नाड़ी की गति (Pulse Rate)।
ब्लड प्रेशर (Blood Pressure)।
पसीना कितना निकल रहा (Perspiration)।
झूठ बोलने वाले के दिमाग से निकलता है अलग सिग्नल
जो इंसान किसी सवाल का झूठा जवाब देता है, तब उसके दिमाग से एक P300 (P3) सिग्नल निकलता है। ऐसे में उसका हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इन्हें सामान्य दरों से मिलाया जाता है। तुरंत पता चल जाता है कि ये जवाब सच है या झूठ।
क्या इंसान पॉलीग्राफ टेस्ट को नियंत्रित कर सकता है?
झूठ बोलने वाली मशीन आपके शरीर की कुछ गतिविधियों को माप कर यह बताता है कि आप सच बोल रहे हैं या झूठ। अगर कोई व्यक्ति अपने हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, पल्स रेट और पसीने को नियंत्रित कर जवाब देता है, तो पॉलीग्राफ टेस्ट में पकड़ा नहीं जा सकता, हालांकि ऐसा करना हर किसी के बस का नहीं होता।
किन यंत्रों का इस्तेमाल होता है पॉलीग्राफ टेस्ट में?
जिस व्यक्ति का पॉलीग्राफ टेस्ट होना है उसके सीने के चारों तरफ न्यूमोग्राफ ट्यूब (Pneumograph Tube) बांधी जाती हैं। बांह पर पल्स कफ (Pulse Cuff) लगाया जाता है। इसके अलावा उंगलियों पर लोमब्रोसो ग्लव्स (Lombroso Gloves) लगाया जाता है ताकि बीपी जांची जा सके। इन अंगों पर होने वाले छोटे-छोटे इलेक्ट्रिक हरकतों की वजह से मशीन में लगी पेन एक ग्राफ बनाती है जिससे पता चलता है कि ये झूठ बोल रहा है या सच।