नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के एक फैसले काे पलटते हुए अविवाहित महिला (Unmarried women) को 24 हफ्ते की प्रेग्नेंसी (24 Days Pregnancy) को खत्म करने का आदेश दे दिया। जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत त्रिपाठी व जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा कि महिला शादीशुदा नहीं है, केवल इस वजह से उसे गर्भपात करवाने से नहीं रोका जा सकता। हालांकि कोर्ट ने 22 जुलाई तक दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के डायरेक्शन में एक पैनल बनाने और अबॉर्शन से जुड़ी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कर दिया था इंकार
मामला दिल्ली हाईकोर्ट में था जहां 15 जुलाई को कोर्ट ने अबॉर्शन पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि सहमति से गर्भवती होने वाली अविवाहित महिला मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) रूल्स, 2003 के तहत अबॉर्शन नहीं करवा सकती। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की बेंच ने मौखिक टिप्पणी में कहा था कि इस स्तर पर अबॉर्शन बच्चे की हत्या के समान होगा। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुआई वाली बेंच ने बच्चे को गोद लेने के लिए उसे जन्म देने का सुझाव दिया था। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने कहा था “तुम बच्चे को क्यों मार रही हो? बच्चे को गोद लेने वालों की एक बड़ी कतार मौजूद है।”
इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और कहा कि हाईकोर्ट ने MTP के प्रावधानों को लेकर रोक लगाने में गलत दृष्टिकोण अपनाया था। एक विवाहित और अविवाहित महिला के बीच के अंतर के कारण कानून में मिलने वाली छूट से कोई संबंध नहीं है।