इसराइल और फ़लस्तीनी लड़ाकों के बीच एक बार फिर संघर्ष शुरू हो गया है. जिस स्तर की गोलाबारी इस बार देखी जा रही है, वो पिछले कई सालों में नहीं हुई थी.
फ़लस्तीनी चरमपंथियों ने ग़ज़ा पट्टी से इसराइल के इलाक़े में कई सौ रॉकेट दागे हैं और इसराइल ने इसका जवाब बर्बाद कर देने वाले अपने हवाई हमलों से दिया है.
फ़लस्तीन की ओर से दागे जाने वाले रॉकेटों का निशाना तेल अवीव, मोडिन, बीरशेबा जैसे इसराइली शहर हैं. इसराइल की मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली आयरन डोम फ़लस्तीनी पक्ष के हमलों का जवाब दे रही है. लेकिन ख़तरे के सायरनों का बजना अभी रुका नहीं है.
इसराइल ने ग़ज़ा के कई ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं. दोनों पक्षों की ओर जान और माल का नुक़सान हुआ है. दर्जनों फ़लस्तीनी मारे गए हैं जबकि दूसरी तरफ़ कम से कम छह इसराइली लोगों की जान गई है.
यरूशलम में इसराइल की पुलिस और फ़लस्तीनी प्रदर्शनकारियों के बीच हफ़्तों से चले आ रहे तनाव के बाद ये सशस्त्र संघर्ष शुरू हुआ है. यरूशलम वो जगह है, जो दुनिया भर के यहूदियों और मुसलमानों के लिए पवित्र माना जाता है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों ही पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है. मध्य पूर्व में संयुक्त राष्ट्र के शांति दूत टोर वेन्नेसलैंड ने कहा है कि वहाँ बड़े पैमाने पर लड़ाई छिड़ने का ख़तरा है.
लेकिन इसराइल और फ़लस्तीनी लोगों का संघर्ष सालों पुराना है और इसे उसी नज़रिए से देखा जाना चाहिए. इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच का विवाद इतना जटिल क्यों है और इसे लेकर दुनिया बँटी हुई क्यों है, इसे समझने के लिए आगे हमने आठ सवालों के जवाब खोजने की कोशिश की है.