PANS Study : इंसान ही छठवें विनाश के जिम्मेदार होंगे…नब्बे की शुरुआत में मशहूर जीवाश्म वैज्ञानिक रिचर्ड लीके ने यह चितावनी दी थी। आपको बता दें इससे पहले आ चुकी पांचों आपदाएं प्राकृतिक थीं। किसी जीव-जंतु की वजह से नहीं पर इस बार खतरा ज्यादा है क्योंकि इंसानी एक्टिविटी धरती पर ऑक्सीजन कम कर रही है।
प्रोसिडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (PNAS) में वैज्ञानिकों का समूह लगातार इस बारे में स्टडीज दे रहा है। वैसे बता दें कि छठवें सामूहिक विनाश को होलोसीन या एंथ्रोपोसीन एक्सटिंक्शन कहा जा रहा है। डर है कि इसमें बैक्टीरिया, फंगी और पेड़-पौधे ही नहीं, इंसान, रेप्टाइल्स, पंक्षी, मछलियां सब खत्म हो जाएंगी, और इसकी वजह बनेगा क्लाइमेट चेंज।
जिस तेजी से धरती गर्म हो रही है और महासागरों की बर्फ पिघल रही है, वैज्ञानिक इसकी तुलना ज्वालामुखियों के अचानक फटने से कर रहे हैं। इससे पानी इतना गर्म हो जाएगा कि उसमें ऑक्सीजन का स्तर घटने लगेगा। नतीजा, समुद्री जीव-जंतु मरने लगेंगे। शुरुआत पानी से होगी, फिर इसका असर हवा में पहुंचेगा और धीरे-धीरे बहुत सारी प्रजातियां एक साथ खत्म हो जाएंगी, हम-आपको मिलाकर।
ये दावा हवा-हवाई नहीं, बल्कि बैकग्राउंट रेट के 100 गुना होने से ये शुरू हो चुका। वातावरण में गर्मी और जहरीली हवा की बात हो ही रही है। बढ़ते तापमान से लगातार कई देशों में जंगल आग पकड़ रहे हैं। बीते साल गर्मियों में ठंडे यूरोपियन देश भी गर्मी से त्राहि-त्राहि कर उठे थे। यहां तक कि दफ्तर बंद करने पड़े,मिट्टी उतनी उपजाऊ नहीं रही।
दुनिया के अधिकांश देश बेमौसम ही कभी तूफान, कभी सूखा तो कभी भूकंप देख रहे हैं। इसपर सबसे खराब बात कि अब भी संभलने की बजाए जंगल काटे जा रहे हैं। यूएन फूड एंड एग्रीक्लचर ऑर्गेनाइजेशन के हिसाब से साल 2015 के बाद से हर साल लगभग 24 मिलियन एकड़ जंगल काटे जा रहे हैं।
अब तक ये पता नहीं लग सका कि अगली प्रलय कब आएगी लेकिन कई वैज्ञानिक अलग-अलग दावे कर रहे हैं। साइंस एडवांसेज में मेसाचुसेट्स प्रौद्योगिक संस्थान के प्लानेटरी साइंसेज विभाग ने अपने शोध के आधार पर कहा कि साल 2100 के करीब ऐसा होगा। साथ में ये भी माना कि जिस हिसाब से धरती गर्म हो रही है, विनाश इसके पहले भी आ सकता है।