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Sunday, May 18, 2025

कारोबार में नुकसान की भरपाई करेंगी बीमा कंपनियां:जल्द आ सकते हैं नए बीमा उत्पाद, साइबर अटैक के जोखिम का भी कवर मिलेगा

इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (इरडा) जल्द ही कुछ नए बीमा उत्पाद पेश कर सकती है। इसके तहत कारोबारों को हुए नुकसान की भरपाई हो सकेगी। इसके अलावा वर्क फ्रॉम होम के चलते होने वाले साइबर अटैक भी कवर हो सकेंगे।

कारोबार बंद होने पर कर्मचारियों को मिलेगी सैलरी

इंश्योरेंस रेगुलेटर एक पैनल की ओर से सुझाए गए बिजनेस इंटरप्शन कवर पर भी विचार कर रहा है। इसमें छोटे कारोबारों के बंद होने पर अधिकतम 10 कर्मचारियों को कम से कम 6500 रुपए की सैलरी देने का सुझाव शामिल है। यह सैलरी 3 महीने तक दी जाएगी। CII की ओर से आयोजित वर्चुअल सेमिनार में बोलते हुए इरडा के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश माथुर ने कहा कि रेगुलेटर इंडियन पैनडेमिक रिस्क पूल गठित करने पर विचार कर रहा है। इस पूल का गठन देश की बीमा कंपनियों के साथ मिलकर किया जाएगा। यह पूल पैनडेमिक रिस्क को कवर करेगा। इसका कारण यह है कि अंतरराष्ट्रीय बीमा कंपनियां पैनडेमिक कवर की सुविधा नहीं देती है।

साइबर इंश्योरेंस की मांग बढ़ सकती है

माथुर ने कहा कि रिमोट वर्किंग अब एक नया नियम बन गया है। ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियों वर्कमैन और एंप्लॉयी कंपनसेशन प्रोडक्ट्स में बदलाव की उम्मीद कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि सामान्यता कोविड-19 का प्रभाव इंडस्ट्री के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। इससे साइबर इंश्योरेंस की मांग बढ़ेगी और साइबर अटैक से जुड़े बीमा उत्पादों का विकास होगा।

लॉकडाउन के कारण बिजनेस इंटरप्शन कवर केंद्र बिंदु बने

इरडा के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने कहा कि लॉकडाउन के कारण बिजनेस इंटरप्शन कवर केंद्र बिंदु बन गए हैं। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों पर बिजनेस इंटरप्शन से जुड़े क्लेम को निपटाने का दबाव बना हुआ। हालांकि, कंपनियों पर इसका असर पॉलिसी के शब्दों के अनुसार ही होगा।

इरडा ने पिछले साल गठित किया था वर्किंग ग्रुप

इरडा ने पिछले साल इंडियन पैनडेमिक रिस्क पूल की स्थापना के लिए एक वर्किंग ग्रुप गठित किया था। इसका मकसद बिजनेस को चालू रखने में आने वाली चुनौतियों को दूर करना, तनाव में कमी लाना और प्रवासी मजदूरों से जुड़े मुद्दों को सुलझाना था। वर्किंग ग्रुप ने सुझाव दिया था कि पैनडेमिक पूल की स्थापना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के आधार पर होनी चाहिए। इसके लिए बीमा कंपनियों से प्रीमियम के आधार पर पूंजी जुटाई जानी चाहिए।

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