सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने आनलाइन व्रचुअल समागम के दौरान आपने प्रेरणादायक पावन प्रवचनों में फरमाया कि हर जीव जंतु, चाहे वो एक दिन का जीवन जीने वाला कीड़ा हो या फिर सौ-दो सौ वर्ष तक जीवित रहने वाला कछुआ, सभी जन्म लेकर सांसारिक कार्य जैसे खाना, सोना आदि करने के बाद मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। उनमें और मनुष्य में फिर क्या अंतर हुआ ? अगर हम भी यही कार्य करके यहां से चले जायेंगे। हमें ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर अपने असली स्वरूप को और प्रभु परमात्मा के दर्शन के लिए ये शरीर मिला है। उन्होंने फरमाया कि ब्रह्मज्ञान पाकर प्रेम, दया, विनम्रता, सहनशीलता जैसे गुणों से हमारा चरित्र सजा होना चाहिए। हम ब्रह्मज्ञानी संतों को सत्यवचन करना सीख जाएं परंतु अगर कोई नकारात्मक व्यक्ति मिलता है, जो गुरमत की जगह हमें मनमत से जोड़ता है, तो वहां सत्यवचन न करते हुए चेतन रहना है। उन्होंने कहा कि कई बार जब परिवार या अन्य स्थान पर किसी से बहस हो जाए, तो चुप रहना ही बेहतर होता है। हमें दूसरों पर उंगली करने से पहले हमें खुद को भी सुधारने का प्रयास करना चाहिए।
मानव जीवन ब्रह्मज्ञान प्राप्त करके प्रभु परमात्मा के दर्शन करने के लिए मिला है : निरंकारी सतगुुरु
सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने आनलाइन व्रचुअल समागम के दौरान आपने प्रेरणादायक पावन प्रवचनों में फरमाया कि हर जीव जंतु, चाहे वो एक दिन का जीवन जीने वाला कीड़ा हो या फिर सौ-दो सौ वर्ष तक जीवित रहने वाला कछुआ, सभी जन्म लेकर सांसारिक कार्य जैसे खाना, सोना आदि करने के बाद मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। उनमें और मनुष्य में फिर क्या अंतर हुआ ? अगर हम भी यही कार्य करके यहां से चले जायेंगे। हमें ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर अपने असली स्वरूप को और प्रभु परमात्मा के दर्शन के लिए ये शरीर मिला है। उन्होंने फरमाया कि ब्रह्मज्ञान पाकर प्रेम, दया, विनम्रता, सहनशीलता जैसे गुणों से हमारा चरित्र सजा होना चाहिए। हम ब्रह्मज्ञानी संतों को सत्यवचन करना सीख जाएं परंतु अगर कोई नकारात्मक व्यक्ति मिलता है, जो गुरमत की जगह हमें मनमत से जोड़ता है, तो वहां सत्यवचन न करते हुए चेतन रहना है। उन्होंने कहा कि कई बार जब परिवार या अन्य स्थान पर किसी से बहस हो जाए, तो चुप रहना ही बेहतर होता है। हमें दूसरों पर उंगली करने से पहले हमें खुद को भी सुधारने का प्रयास करना चाहिए।