होशियारपुर, 30 सितम्बर (न्यूज़ हंट)-अगर मानव जीवन सुंदर हो तो युग सुंदर, सदीयां सुंदर, हर पल सुंदर होगा। उक्त उद्गार निरंकारी सतगुुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने आनलाइन व्रचुअल समागम के दौरान कहे। उन्होंने फरमाया कि मानव का शरीर प्राप्त करना ही इंसान होने का सबूत नहीं बल्कि इंसान की असली पहचान मानवी गुण होते है। इस बात का असलीयत में पता इस प्रभु परमात्मा की जानकारी हासिल करके ही पता चलता है। ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के बाद इंसान के सारे भरम भूलेखे दूर हो जाते है तथा अपनी असली पहचान का पता चल जाता है। उसे इस बात की जानकारी हो जाती है कि मानव जीवन आखिर मिला किस कार्य के लिए है। जिस प्रभु परमात्मा ने यह जीवन बख्शा है उसकी जानकारी कर ली जाए, यह मानव इंसान मिला ही इसलिए है। उन्होंने फरमाया कि हमने अपने आप को संवारते हुए चले जाना है। खुद को ठीक करने का नजरिया अपनाते हुए सबसे पहले खुद ठीक हो तभी जाकर संसार ठीक हो पाएगा। जब हम अच्छा देखगें, अच्छा करेंगे तो अच्छा होगा। शुरुआत अपने आप को संवारने से करनी है। सत्संग की महत्ता के बारे में उन्होंने समझाते हुए कहा कि सत्संग में संत महापुरुष हमें समझाते है कि जीवन को सुंदरता की तरफ कैसे लेकर जाना है। सत्संग में सब कुछ एकदम साफ व अच्छे ढंग से बताया जाता है अगर उन रास्तों को अगर हम अपने जीवन में अपनाते नहीं है तो कुछ लाभ होने वाला नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि अगर कोई दरवाजा चाबी से बंद किया गया हो अगर हम बिना चाबी लगाए ही उस दरवाजे को खोलने की कोशिश करे तो वह कोशिश एकदम बेकार चली जाती है। इसी तरह जो संतो महापुरुषों की सिखलाईयां है, शिक्षाएं है उनको अगर हम जीवन में अप्लाई नहीं करेंगे तो कोई लाभ होने वाला नहीं है।