History Of Hing: आपकी रसोई में खाने का स्वाद बढ़ाने वाले कई मसाले होते हैं। भारत को मसालों का देश कहा जाता था। एक मसाला ऐसा है जो भारत में पैदा नहीं होता लेकिन लगभग हर घर में इसका इस्तेमाल किया जाता है। ये न सिर्फ खाने का टेस्ट बढ़ाता है, साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है। हम बात कर रहे हैं तड़का लगाने वाली हींग की। हींग भारत में नहीं पैदा होती बल्कि ये दूसरे देशों से इंपोर्ट की जाती है।
अंग्रेज करते थे शैतान का गोबर
हींग बनाने के लिए कच्चा माल मुख्यतौर पर अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान और ईरान से आता है। हींग को बनाने वाला कच्चा माल मटमैला सफेद या हल्का सा गुलाबीपन का होता है। ये सफेद फेविकोल की तरह होता है। हींग के कच्चे माल की गंध बहुत तीखी होती है। आप इसक पास ज्यादा देर खड़े नहीं रह सकते। इसके तीखेपन की वजह से अंग्रेज इसे ‘शैतान का गोबर’ Devil’s Dung कहते थे। वहीं इसके औषधीय गुणों के चलते इसे God’s Food भी कहा जाता है।
भारत में होता है सबसे ज्यादा इस्तेमाल
भारत में हींग भले ही पैदा नहीं होती लेकिन दुनिया में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारत ही करता है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में पैदा होने वाले हींग का 40 फीसदी भारत में इस्तेमाल होता है। भारत में ईरान, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान से हींग आती है। अफगानिस्तान से आने वाले हींग की मांग सबसे ज्यादा है। CSIR के मुताबिक, भारत हर साल 1,200 टन हींग इन देशों से 600 करोड़ रुपये खर्च कर आयात करता है।
कैसे तैयार होती है हींग?
हींग का गाढ़ा कच्चा माल फेरुला एसाफोइटीडा के जड़ से निकाले गए रस से तैयार किया जाता है। पहले इस कच्चे माल को बकरे की खाल में भरकर ट्रांसपोर्ट किया जाता है। लेकिन अब प्लास्टिक की पैकेट में ये इंपोर्ट किया जाता है। भारत में पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान के कई शहरों में इस कच्चे माल में गोंद और स्टार्च मिलाकर खाने लायक हींग तैयार की जाती है। ये हींग छोटी-छोटी डिब्बियों में भरकर आपकी रसोई तक पहुंचती है।