हर चीज की एक उम्र होती है और इसके बाद वो समाप्त हो जाती है लेकिन उसका असर और उसकी छाप हमारे दिमाग से शायद कभी खत्म नहीं होती। ऐसी ही एक चीज खत्म होने जा रही है और वो है स्प्राइट (Sprite) की हरे रंग वाली बोतल। कंपनी 61 साल के बाद हरे रंग के बोतल (Sprite Green Bottle) को रिटायर कर रही है। एक अगस्त से Sprite की हरे रंग वाली बोतल नजर नहीं आएगी। कंपनी ने इसके लिए नया कलर चुना है, लेकिन हमारे किस्सों-कहानियों में हरे रंग की स्प्राइट की बोतल शायद लंबे समय तक शामिल रहेगी।
कोका कोला का कहना है कि Sprite की बोतल को हरे रंग से सफेद या ट्रांसपेरेंट प्लास्टिक में बदल रहा है। इससे प्लास्टिक मैटेरियल को दोबारा बोतल बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता। साल 1961 में पहली बार कोका कोला ने लेमन लाइम सॉफ्ट ड्रिंक के रूप में स्प्राइट को लॉन्च किया था। अगले साल यानी 1961 में कोका कोला ने स्प्राइट को पेप्सी से 7अप से मुकाबले के लिए मार्केट में उतारा। आज के समय में स्प्राइट दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बिकने वाली सॉफ्ट ड्रिंक है। भारत समेत 190 देशों में इसकी बिक्री होती है।
Sprite बनाने वाली अमेरिकी कंपनी कोका कोला (Coca Cola) ने 61 साल बाद इस पॉपुलर कोल्ड ड्रिंक को हरे रंग की जगह सफेद या ट्रांसपेरेंट बोतलों में बेचने का फैसला किया है। पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए कंपनी ने ये निर्णय लिया है। कंपनी का कहना है कि स्प्राइट की हरे रंग की बोतल को रिसाइकिल करके बोतल नहीं बनाया जा सकता है। इसलिए कंपनी ने इसे बंद करने का फैसला किया है। हालांकि, रिसाइकिल करके इससे अन्य प्रोडक्ट जरूर बनाए जा सकते हैं।
हरे रंग की प्लास्टिक बोतल पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट (PET) से बनी होती है। इसे रिसाइकिल करके अक्सर कालीन और कपड़ों जैसे सिंगल यूज वाले वाले प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। कंपनी का कहना है कि सफेद या ट्रांसपेरेंट बोतल को रिसाइकिल करके दोबारा बोतल बनाया जा सकता है। ग्रीन प्लास्टिक को आमतौर पर रिसाइकिल किया जाता है, लेकिन हमेशा ये काम आसान नहीं होता। हरे रंग की वजह से कई ये दोबारा इस्तेमाल करने लायक नहीं बचता।