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Monday, December 23, 2024

Mulayam Singh Yadav : नहीं रहे मुलायम सिंह यादव, ऐसा रहा टीचर से नेताजी बनाने का सफर…

न्यूज हंट. नई दिल्ली : मुलायम सिंह यादव ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षा के क्षेत्र से की थी। समाजवादी पार्टी के संस्थापक ने राजनीति से अपने जीवन पथ पर चलना शुरू नहीं किया था। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के करहल में जैन इंटर कॉलेज से करियर शुरू किया था, बाद में इसी मैनपुरी ने उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी पहचान दिलाई। जानकारी के मुताबिक बहुत कम समय में ही वे छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए थे। हालांकि, उन्हें तो नेता बनकर देश सेवा करनी थी, इसलिए ज्यादा दिन तक उसमें मन नहीं लगा और फिर लंबी राजनीतिक यात्रा पर निकल गए।
10 बार विधायक और 7 बार सांसद रहे मुलायम
22 नवबंर, 1939 को यूपी के इटावा जिले के सैफई गांव में जन्मे मुलायम सिंह यादव कुल तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे 10 बार विधायक/विधान पार्षद और 7 बार संसद सदस्य रहे। सुघर सिंह और मूर्ति देवी के बेटे मुलायम ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी। एक ग्रामीण परिवेश से लेकर उन्होंने कैसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना एक व्यक्तित्व निर्माण किया और कैसे उनका जीवन और उनका संघर्ष लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का कारण बन गया।
मास्टरजी से नेताजी बन गए
1963 : मुलायम सिंह यादव इटावा में अपने शुरुआती दिनों से ही कुश्ती में पारंगत थे। फिर उन्होंने मैनपुरी के करहल स्थित जैन इंटर कॉलेज में हिंदी और सोशल साइंस में अध्यापन का कार्य शुरू किया।
1667 : शिक्षा के क्षेत्र से वह कम ही समय जुड़े रहे और इस साल वे मैनपुरी की जसवंतनगर सीट से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर अपना पहला विधानसभा चुनाव जीत लिया। 1993 तक वे जसवंतनगर से ही 6 बार और चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे। लेकिन, इस दौरान उनकी पार्टियां बदलती रही। 1974 में भारतीय किसान दल, 1977 में भारतीय लोक दल, 1985 में लोकदल, 1989 में जनता दल, 1991 में समाजवादी जनता पार्टी और 1993 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सफल हुए।
1977 : मुलायम सिंह यादव को लोकदल का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
1980 : जनता दल के अध्यक्ष बने। लेकिन, जसवंतनगर सीट से ही सिर्फ एक बार कांग्रेस के बलराम यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
1982 : विधान परिषद के सदस्य बने और वहां विपक्ष के नेता की भूमिका निभाई।
1985 : जसवंतनगर विधानसभा सीट पर दोबारा जीत दर्ज की और अब विधानसभा में विपक्षी दल के नेता चुने गए।
मुलायम तीन बार रहे यूपी के मुख्यमंत्री
1989 : मुलायम सिंह को पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। उन्होंने जनता दल सरकार की अगुवाई की, जिसे बीजेपी का समर्थन हासिल था।
1990 : बीजेपी ने राम मंदिर के मुद्दे पर मुलायम सिंह यादव सरकार से समर्थन वापस ले लिया। कांग्रेस के समर्थन से सरकार किसी तरह एक साल और चली। अयोध्या में कार सेवा करने पहुंचे कार सेवकों पर गोली चलवाने का आदेश दिया। इसमें 50 से ज्यादा लोग मारे गए। उस दौरान मुलायम ने घोषणा की थी कि अयोध्या में तब के विवादित स्थल पर ‘परिंदा भी पर नहीं मार सकता है।’ उनके इस फैसले से उन्हें मुसलमान वोटरों का ऐसा साथ मिला, जो आज भी किसी ना किसी रूप में उनकी पार्टी के साथ बरकरार है।
1992 : मुलायम सिंह यादव ने जनता दल से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बनाई और उसे समाजवादी पार्टी नाम दिया।
1993 : मुलायम सिंह यादव ने तब कांशीराम और मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया और सपा-बसपा गठबंधन सरकार में दूसरी बार मुख्यमंत्री बन गए।
1995 : लखनऊ के कुख्यात गेस्ट हाउस कांड में बसपा नेता मायावती के साथ सपा कार्यकर्ताओं द्वारा हुई अभद्रता के बाद बीएसपी ने गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया। मुलायम की सरकार गिर गई और यहां से सपा-बसपा के बीच कटु संघर्ष का दौर शुरू हो गया, जो अगले 24 साल तक चलता रहा।
प्रधानमंत्री बनने की चाहत रखकर रक्षा मंत्री बने थे मुलायम
1996 : मुलायम ने पहली बार मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद की सदस्यता ग्रहण की। इस साल मुलायम ने प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचने के लिए भी हाथ-पैर मारे लेकिन, उन्हें दो साल तक देश के रक्षा मंत्री के पद पर रहने का अवसर जरूर मिल गया।
1998 : उन्होंने मैनपुरी लोकसभा सीट से एक बार फिर से जीत दर्ज की।
1999 : मुलायम ने इस बार संभल और कन्नौज दोनों सीटों से चुनाव लड़ा और दोनों पर ही जीत दर्ज की।
2004 : इससाल वे वापस मैनपुरी से चुनाव जीते और 2009, 2014 और 2019 में भी यह सिलसिला बरकरार रखा। 2014 में वे मैनपुरी के अलावा आजमगढ़ से भी जीते थे और मैनपुरी सीट छोड़ दी थी।
2003: मुलायम सिंह यादव बसपा-भाजपा गठबंधन सरकार के गिरने के बाद तीसरी बार बीएसपी के एक गुट और कांग्रेस के कुछ बागियों के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने 2007 तक अपना तीसरा कार्यकाल पूरा किया।
2004 : मुलायम के नेतृत्व में यूपी में लोकसभा चुनावों में सपा का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन हुआ और पार्टी ने 80 में से 36 सीटें जीत लीं।
2007 : समाजवादी पार्टी बीएसपी से विधानसभा चुनाव हारकर सत्ता से बाहर हो गई। 1991 के बाद पहली बार मायावती के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। मुलायम 2009 तक विपक्ष के नेता की रोल में रहे।

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